Uttar Pradesh के गोंडा जिले में 18 जुलाई को हुए ट्रेन हादसे की वजह सामने आ गई है। जांच कमेटी ने हादसे के लिए रेलवे के इंजीनियरिंग सेक्शन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट के अनुसार, हादसे से एक घंटा पहले ही ट्रैक की गड़बड़ी का पता चल गया था, लेकिन अफसरों ने कोई सावधानी नहीं बरती, जिससे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस बेपटरी हो गई। (Uttar Pradesh) इस हादसे में चार लोगों की जान चली गई और 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

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झिलाही रेलवे स्टेशन के कीमैन ने हादसे से पहले जूनियर इंजीनियर को ट्रैक की कमजोरी के बारे में सूचित किया था। इसके बावजूद, अधिकारियों ने ट्रैक पर कोई सावधानी संदेश (Caution Board) नहीं लगाया। हादसे के वक्त ट्रेन 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। अगर सावधानी संदेश दिया गया होता, तो ट्रेन की स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा होती और हादसा टल सकता था।

जांच कमेटी ने पाया कि ट्रैक की बंधाई ठीक नहीं थी और गर्मी के कारण पटरी ढीली हो गई थी। इसके बावजूद, अफसरों ने कोई साइट प्रोटेक्शन का इंतजाम नहीं किया। जांच में शामिल नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे के 6 अधिकारियों ने विभिन्न कर्मचारियों के बयान लिए और घटनास्थल का मुआयना किया। लखनऊ DRM ऑफिस में गोंडा, डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी के 41 रेल अधिकारियों और कर्मचारियों को तलब किया गया है। उनके बयान दर्ज करने के बाद लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।

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जिम्मेदार अधिकारियों पर दर्ज बयान (क्रेडिट : इंडिया टुडे)

यह हादसा रेलवे विभाग के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि लापरवाही कितनी जानलेवा साबित हो सकती है। भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए सुरक्षा मानकों को कड़ा करने की आवश्यकता है।

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By Sumedha